नमस्कार दोस्तों, ऐसा कोई हिंदुस्तानी नहीं होगा जो भगवद गीता को नहीं जानता होगा.भगवद गीता एक ऐसा धार्मिक ग्रंथ है, जो मनुश्य को जिंदगी को सही जीने मार्ग बताता है।
भगवद गीता किसी एक धर्म तक सीमित नहीं है वह सभी धर्म को लोगो ने पड़ना चाहिए। हालांकि भगवद गीता ५००० साल पुराणी है, लेकिन उसका ज्ञान आज भी लोगों को जीवन में सही राह पर चलने को प्रेरित करती है. भगवद गीता में कुल १८ अध्याय हैं और उन १८ अध्यायों में ७०० श्लोक है. भगवद गीता एक गुरु और शिष्य में का सवांद है। जिसमे पुरे जीवन का सार है। तो चलिये दोस्तों आज हम भगवद गीता में के कुछ अनमोल वचन देखते है ।
Bhagavad Gita Quotes In Hindi
किसी दुसरे के जीवन के साथ पूर्ण रूप से जीने से बेहतर है की हम अपने स्वयं के भाग्य के अनुसार अपूर्ण जियें
वासना, क्रोध और लालच ये नर्क के तीन द्वार हैं
मनुष्य अपने विश्वास से बना है। जैसा वह मानता है वैसा ही वह बन जाता है
एक उपहार तब पवित्र होता है जब वह दिल से सही व्यक्ति को सही समय पर और सही जगह पर दिया जाता है, और जब हम बदले में कुछ भी उम्मीद नहीं करते हैं
कोई भी व्यक्ति जो अच्छा काम करता है, उसका कभी भी बुरा अंत नहीं होगा, चाहे इस काल में हो या आने वाले काल में.
परिवर्तन प्रकर्ति का नियम है आप एक पल में करोड़पति या कंगाल हो सकते हैं
आत्मा न तो जन्म लेती है और न ही मरती है
आप यहां खाली हाथ आए हैं, और आप खाली हाथ जाएंगे। जो आज तुम्हारा है वह कल किसी और का था, और कल किसी और का होगा
Thought Of The Day In Hindi | थॉट ऑफ़ द डे इन हिंदी
जो हुआ, अच्छे के लिए हुआ, जो हो रहा है, अच्छे के लिए हो रहा है, जो होगा, अच्छे के लिए होगा.
किसी को भी कर्तव्यों का त्याग नहीं करना चाहिए क्योंकि वह उनमें दोष देखता है। हर क्रिया, हर गतिविधि, दोषों से घिरी होती है जैसे आग धुएं से घिरी होती है।
Bhagavad Gita Quotes on Life in Hindi
हमेशा दूसरों के कल्याण को ध्यान में रखकर अपना काम करें
इस जीवन में कुछ भी खोया या व्यर्थ नहीं है।
हमेशा संदेह करने वाले के लिए न तो इस दुनिया में और न ही कहीं और कोई खुशी है।
किसी दुसरे के जीवन के साथ पूर्ण रूप से जीने से बेहतर है की हम अपने स्वयं के भाग्य के अनुसार अपूर्ण जियें
अगर आपको कोई अच्छा लगता है तो अच्छा वो नहीं, बल्कि अच्छे आप हो क्योंकि उसमें अच्छाई देखने वाली नजर आपके पास है.
सच्चा चाहने वाला आपसे प्रत्येक तरह की बात करेगा. आपसे हर मसले पर बात करेगा. लेकिन धोखा देने वाला सिर्फ प्यार भरी बात करेगा।
अगर आपको झुकना है तो किसी के विनम्रता के आगे झुके किसी के शक्ति के आगे, रूप के आगे, और धन के आगे तो बिलकुल भी मत झुकना।
हमेशा संदेह करने से खुद का ही नुकसान होता है. संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रसन्नता न ही इस लोक में है और न ही किसी और लोक में.
जिसने मन को जीत लिया है, उसने पहले ही परमात्मा को प्राप्त कर लिया है, क्यों कि उसने शान्ति प्राप्त कर ली है | ऐसे पुरुष के लिए सुख-दुख, सर्दी-गर्मी एवं मान-अपमान एक से हैं |
Best Geeta Updesh Quotes in Hindi
क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है, तब तर्क नष्ट हो जाता है, जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।
जो बीत गया उस पर दुख क्यों करना, जो है उस पर अहंकार क्यों करना, और जो आने वाला है उसका मोह क्यों करना।
जो मनुष्य मुझे जिस प्रकार भजता है यानी जिस इच्छा से मेरा स्मरण करता है, उसी के अनुरूप मैं उसे फल प्रदान करता हूं। सभी लोग सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं।
आत्मा किसी काल में भी न जन्मता है और न मरता है, न यह एक बार होकर फिर अभावरूप होने वाला है। आत्मा अजन्मा, नित्य, शाश्वत और पुरातन है, शरीर के नाश होने पर भी इसका नाश नहीं होता।
जब भविष्य धुंधला पड़ने लग जाता है, त आपको अपने वर्तमान में ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
Bhagavad Gita Quotes on Karma in Hindi
कर्म करो और फल की चिंता मत करो.
ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है वही सही मायने में देखता है
जो कर्म प्राकृतिक नहीं है वह हमेशा आपको तनाव देता है.
जिसने कर्म त्याग दिया है, उसे कर्म नहीं बांधता।
जब मनुष्य की बुद्धि, मन, श्रद्धा तथा शरण सब कुछ भगवान् में स्थिर हो जाते हैं, तभी वह पूर्णज्ञान द्वारा समस्त कल्मष से शुद्ध होता है और मुक्ति के पथ पर अग्रसर होता है |
जो मुझे सर्वत्र देखता है और सब कुछ मुझमें देखता है उसके लिए न तो मैं कभी अदृश्य होता हूँ और न वह मेरे लिए अदृश्य होता है |
हे अर्जुन! निस्सन्देह चंचल मन को वश में करना अत्यन्त कठिन है; किन्तु उपयुक्त अभ्यास द्वारा तथा विरक्ति द्वारा ऐसा सम्भव है |
मुझसे श्रेष्ठ कोई सत्य नहीं है | जिस प्रकार मोती धागे में गुँथे रहते हैं, उसी प्रकार सब कुछ मुझ पर ही आश्रित है |
मैं जल का स्वाद हूँ, सूर्य तथा चन्द्रमा का प्रकाश हूँ, वैदिक मन्त्रों में ओंकार हूँ, आकाश में ध्वनि हूँ तथा मनुष्य में सामर्थ्य हूँ |
हे अर्जुन! कोई भी इंसान जन्म से नहीं बल्कि अपने कर्मों से महान बनता है।
हर इन्सान को कर्म में विश्वास करना चाहिए, क्योंकि ये जगत ही कर्मलोक है। कर्म आपके हाथ में है, परिणाम नहीं, इसलिए कर्म पर ध्यान लगाएं। याने की सिर्फ काम पर ध्यान लगायें और मेहनत करें।
न तो कर्म से विमुख होकर कोई कर्मफल से छुटकारा पा सकता है और न केवल संन्यास से सिद्धि प्राप्त की जा सकती है |